मोदी की चेतावनी का असर? PDP ने कहा, अब और रिहाई नहीं
पीडीपी सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी का असर होता दिख रहा है। पीएम मोदी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि मु्फ्ती सरकार अगर फिर ऐसे कोई उकसाने वाले कदम उठाती है (अलगाववादियों या आतंकवादियों को रिहा करती है) तो बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने में देर नहीं लगेगी। शायद इसी का असर है कि इसके एक दिन बाद जम्मू सरकार ने वादा किया है कि अब किसी आतंकी या अलगाववादी को रिहा नहीं किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के होम सेक्रटरी सुरेश कुमार ने कहा,’अब ऐसा कुछ नहीं होगा। मसरत आलम को इसलिए रिहा करना पड़ा क्योंकि उस पर पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत नए मामले दर्ज नहीं किए जा सकते थे। इसके बाद अब ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।’ राज्य के डीजीपी के राजेंद्र ने हमारे सहयोग अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया ,’अलगाववादी नेता आशिक फक्तू को रिहा नहीं किया जाएगा। फक्तू को रिहा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। मसरत को इसलिए रिहा किया गया क्योंकि वह कानूनी मामला था और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था।’ कहा जा रहा था मसरत की रिहाई के बाद आशिक को भी रिहा किया जा सकता है।
होम सेक्रटरी ने कहा,’सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक आप किसी को एक ही आरोप के आधार पर बार-बार डिटेन नहीं कर सकते। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको उसके खिलाफ नए आरोप दर्ज करने होंगे। पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत भी किसी को डिटेन करने की एक तय सीमा है। आप किसी को भी ज्यादा से ज्यादा छह महीने तक जेल में रख सकते हैं। इसके बाद एक बार और आप ऐसा कर सकते हैं लेकिन मसरत 2010 से ही जेल में था। पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत हम उसे और कितने दिनों तक जेल में रख सकते थे? हमें इस देश के कानून का पालन करना होता है।’
पाकिस्तनी नागरिकों को रिहा करने के सवाल पर उन्होंने कहा,’यह एक सामान्य ऐक्टिविटी है। जिन पाकिस्तानियों की सजा पूरी हो जाती है उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दिया जाता है। इसका अलगाववादियों और आतंकियों के रिहा होने से कोई संबंध नहीं है। कुछ समय पहले हमने चार पाकिस्तानियों को रिहा किया कयोंकि उनकी सजा पूरी हो गई थी। अप्रैल में हम कुछ बांग्लादेशी नागरिकों को रिहा करेंगे क्योंकि तब उनकी सजा पूरी होगी।’
एक दिन पहले बीजेपी ने मांग की थी कि अलगाववादियों के मामलों के लिए बाकायदा रिव्यू सिस्टम होना चाहिए। बीजेपी ने धमकी दी थी कि अगर पीडीपी अपने ‘छिपे हुए अजेंडा’ को लेकर काम करती रही तो उससे गठबंधन तोड़ते देर नहीं लगेगी। बीजेपी ऑफिशल अशोक कौल ने कहा, ‘राज्य सरकार को अलगाववादियों की रिहाई के लिए एक तय सिस्टम बनाना चाहिए। हम समझते हैं कि मसरत आलम को रिहा करने का फैसला कानूनी तौर पर सही था लेकिन इसका भी एक सिस्टम होना चाहिए।’
कौल ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों को देखने के लिए सरकार एक कमिटी बना सकती है जिसमें मुख्यमंत्री, डीजीपी, चीफ सेक्रटरी और मंत्री शामिल हों। कौल के मुताबिक, ‘जिनके खिलाफ आरोप तयन हों या एफआईआर न हो उन्हें छोड़ दिया जाए। ऐसा एक बार होने पर आप पूरे देश और संसद की प्रतिक्रिया देख सकते हैं। यहां तक कि अब कांग्रेस जैसी पार्टी हमें देशभक्ति सिखाने लगी है।’
पीडीपी सरकार द्वारा अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा कि जाने पर सियासी तूफान खड़ा हो गया था। इस पर पीएम मोदी को लोकसभा में सफाई देनी पड़ी कि रिहाई का फैसला केंद्र सरकार से पूछ कर नहीं लिया गया था। वहीं पीडीपी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में शांति कायम रखने के लिए मसरत की रिहाई जरूरी थी।
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